शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में। शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में।
मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है। मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है।
लोग अपनों को भी कुर्बान करते हैं !! लोग अपनों को भी कुर्बान करते हैं !!
अंदर अंदर कुछ कचोटता है खुलेपन की बिंदास मुस्कुराहट ओढे़ खुद ही खुद से लड़ती हैं बेबाक औरतें बहुत ... अंदर अंदर कुछ कचोटता है खुलेपन की बिंदास मुस्कुराहट ओढे़ खुद ही खुद से लड़ती है...
एक दिखावे की दूजी खुद के लिए....ऐसी ज़िंदगी सच में जीते हैं लोग एक दिखावे की दूजी खुद के लिए....ऐसी ज़िंदगी सच में जीते हैं लोग
जीवन पथ पर करना पड़ता अथक परिश्रम, मेहनत पूरी-पूरी रहती, मज़दूरी फिर भी कम, सुने खरी खोटी जीवन पथ पर करना पड़ता अथक परिश्रम, मेहनत पूरी-पूरी रहती, मज़दूरी फिर भी कम, सुने...